वट सावित्री व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त, जान लें विधि

पंडित मनोज कृष्णा शास्त्री
(अध्यक्ष) श्री शिव हनुमत धाम
कष्ट निवारण धाम नवग्रह
मंदिर खेड़ा हाथीपुर ग्रेटर नोएडा।

वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। इस साल वट सावित्री व्रत 6 जून को रखा जाएगा। इसी दिन अमावस्या के साथ साथ शनि जयंती भी है। वट सावित्री व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है। कई जगहों पर कुंवारी कन्या भी मनचाहे वर की कामना करके इस व्रत को करती है। इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने के लिए आपको सही पूजन सामग्री लेनी चाहिए। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और सामग्री की लिस्ट। वट सावित्री व्रत के लिए आपको सबसे पहले वट वृक्ष की जरूरत है। दरअसल, इस व्रत की पूजा वट वृक्ष के नीचे ही की जाती है। यदि आपके घर के आसपास वट वृक्ष नहीं है तो आप डाली तोड़कर भी पूजा कर सकते हैं।

वट सावित्री व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त
6 जून को अमृत काल में सुबह 5 बजकर 35 मिनट से सुबह 7 बजकर 16 मिनट तक पूजन करना शुभ रहेगा। इसके अलावा 8 बजकर 56 मिनट से 10 बजकर 37 मिनट तक पूजा के लिए अच्छा मुहूर्त है। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक इस मुहूर्त में भी आप पूजा कर सकते हैं।

वट सावित्री के दिन क्या करें
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके सोलह श्रृंगार करना चाहिए। इसके बाद पूजन सामग्री को इकट्ठा कर लें। सभी सामग्रियां लेकर वट वृक्ष के पास पहुंच जाएं और वृक्ष की 108 परिक्रमा करें। इसके बाद विधि विधान से पूजन और अपना व्रत पूरा करें।

वट सावित्री व्रत 2024 की तिथि
ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत 05 जून की शाम को 07 बजकर 54 मिनट पर होगी. वहीं ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि की समाप्ति 6 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर होगी. वट सावित्री व्रत 6 जून 2024 दिन गुरुवार को रखा जाएगा. वट सावित्री व्रत के पूजन का शुभ मुहूर्त 6 जून को 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर होगा. अमृत काल समय 6 जून को सुबह 05 बजकर 35 मिनट से सुबह 07 बजकर 16 मिनट तक है.

ज्येष्ठ पूर्णिमा की वट सावित्री व्रत 2024 कब है
ज्येष्ठ मास में दो बार वट सावित्री व्रत रखा जाता है, जहां वट सावित्री व्रत अमावस्या तिथि को 6 जून को रखा जा रहा है। वहीं ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून 2024 को सुबह 07 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 22 जून को सुबह 06 बजकर 37 मिनट तक है। इसलिए 21 जून को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। इस दिन पूजा का समय 21 जून को सुबह 05 बजकर 24 मिनट तक सुबह 10 बजकर 38 मिनट तक है।

क्यों मनाते हैं वट सावित्री व्रत
विवाहित महिलाएं वट सावित्री का व्रत अपने पतियों के अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। देवी सावित्री के सम्मान में महिलाएं बरगद की पूजा करने तक निर्जला व्रत रखती हैं, इसके बाद बरगद के पेड़ की कोपल खाकर अपना व्रत को खोलती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए सोलह श्रृंगार करके वट वृक्ष की पूजा करती हैं। धार्मिक कथा के अनुसार, सावित्री ने भगवान यमराज को भ्रमित कर उन्हें अपने पति सत्यवान के प्राण को लौटाने पर विवश किया था। इसी के कारण हर साल सुहागिन महिलाएं अपने पति की सकुशलता, दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए वट सावित्री व्रत रखती हैं।

वट सावित्री व्रत में श्रृंगार सामग्री है बेहद जरूरी
वट सावित्री व्रत की पूजा थाली में श्रृंगार का सामान जरूर रखना चाहिए, क्योंकि यह व्रत पूर्ण रूप से महिलाओं के सुहाग से जुड़ा हुआ है। धार्मिक मान्यता है कि सुहागिनों को पहले खुदका सोलह श्रृंगार करना चाहिए, इसके बाद अपनी पूजा थाली में सोलह श्रृंगार का पूरा सामान रखना चाहिए, जिससे जीवन में शुभता और खुशहाली बनी रहे।

 कच्चा धागा समृद्धि और शुभता का प्रतीक
वट सावित्री व्रत की पूजा थाली में कच्चा सूत जरूर रखना चाहिए। कच्चा सूत यानी कच्चा धागा समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। इसके साथ ही बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए अपनी पूजा सामग्री में इसे जरूर शामिल करना चाहिए।