पश्चिम बंगाल की घटना से देश की अखंडता को खतरा: के.के. शर्मा

-सोशल चौकीदार ने की ममता बनर्जी के व्यवहार की आलोचना

गाजियाबाद। भारत के संघीय ढांचे को अब खतरा पैदा हो गया है। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी मुख्यमंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री की आधिकारिक बैठक का बहिष्कार किया। भारत के भविष्य के लिए यह बहुत बड़ी गंभीर घटना है। इससे उन अपुष्ट समाचारों को बल मिलता है कि जो ये बता रहे हैं कि बंगाल में अलग राष्ट्र बनाने की मांग उठेगी। संभवत: ये उसी टूलकिट की शुरुआत है। ममता बनर्जी को अगर देशी और विदेशी ताकतों का प्रबल समर्थन नहीं होता या एक धर्म के लोगों का प्रबल समर्थन नहीं होता तो ममता बनर्जी को इतना अहंकार नहीं होता। यह बातें शनिवार को सोशल चौकीदार के संस्थापक के.के. शर्मा ने अपना बयान जारी करते हुए कहीं। उन्होने कहा बंगाल में हो रही लगातार हिंसा भी इस बात का संकेत दे रही है कि कहीं दूसरा कश्मीर तो नहीं बनने जा रहा और भारत के टुकड़े-टुकड़े करने वाली कुछ ताकतें कहीं अपने सपने को साकार करने का प्रयास तो नहीं कर रही हैं। बहरहाल सच कुछ भी हो, भारत के संविधान के तहत भारत के संघीय ढांचे को खतरा पैदा हो गया है। इसका मतलब भारत की अखंडता को खतरा पैदा हो गया है और संप्रभुता को भी खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में सारे राष्ट्र को एकजुट होकर इस गंभीर घटना का विरोध करना चाहिए। कुछ नेताओं का कहना है कि उस बैठक में शुभेंदु अधिकारी को भी बुलाया गया था, इसलिए ममता बनर्जी ने उस बैठक का बहिष्कार किया। अगर शुभेंदु अधिकारी ने चुनाव में ममता बनर्जी को हराया तो कौन सा पाप कर दिया फिर भी तो ममता बनर्जी पूरे बंगाल की मुख्यमंत्री है। ऐसा नहीं है कि कुछ की मुख्यमंत्री हैं और कुछ की नहीं है। ममता को भी हार को पचाना सीखना चाहिए और शुभेंदु अधिकारी वाला तर्क देने वाले राजनीतिक लोगों को भी समझदारी की बात करनी चाहिए।